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Farmers Pride
दो युवाओं की ऐसी एक ऐसी यात्रा जिसे प्रधानमंत्री ने अपनी मन की बात मे सुनाकर देश के सामने ला दिया संदीप बचपन से ही संदीप अस्थमा (दमा) के रोगी थे l वर्ष 2000 में इंजीनियरिंग डिग्री के दौरान अंग्रेजी दवाओं से आराम मिलना भी बंद हो चुका था l उसी दौरान माननीय राष्ट्रपति महोदय अब्दुल कलाम जी लगातार युवाओं का ध्यान स्वरोजगार की तरफ दिला रहे थे, गांव में लौटकर भारत को 2020 तक विकसित राष्ट्र बनाने का सपना दिखा रहे थे l
कलाम जी के सपने को संदीप ने भी अपना सपना बना लिया और अपने कुछ मित्रों के साथ टेक्निकल टुडे (2000) नाम से एक मैगजीन शुरू की l उत्तरप्रदेश और मध्यप्रदेश के 150 कॉलेज के 3000 छात्र स्वरोजगार के इस अभियान में शामिल हुए l
दो साल तक पत्रिका चलाने के बाद भी गाँव में लौटकर जीने के रास्ता नहीं दिखाई दे रहा थाl तत्कालीन कुलपति प्रो. एम सी गुप्ता जी ने एक मुलाक़ात में ध्यान दिलाया” नौकरी करने वाले लोग तुमको स्वरोजगार का रास्ता नहीं दिखा सकते” l
उनकी इस बात ने बिना डिग्री के अपना रोजगार और पहचान खुद ढूंढ लेने की दिशा दी l
2002 में इंजीनियरिंग डिग्री छोड़, समाज को और बेहतर जानने के उद्देश्य से पत्रकारिता में जाने का निर्णय लिया और एक साल में पत्रिकारिता के दोहरे मापदडो को देखकर गहरा विरोधाभास और डिप्रेशन का दौर आया l
गहरे अंतरविरोध और डिप्रेशन के बीच एक नजदीकी मित्र ने आई आई टी कानपुर में प्रो. गणेश बगाडिया जी से मुलाक़ात करा दी l इनके द्वारा मध्यस्थ दर्शन सहअस्तित्ववाद के माध्यम से सार्थक जीने की दिशा मिली l
इसी क्रम में 2005 में आदरणीय श्री ए. नागराज शर्मा जी (अमरकंटक) के उपचार से सालों पुराना अस्थमा आयुर्वेदिक दवाओं से पूरी तरह ठीक हो गया। तभी से आयुर्वेद को पड़ना और समझना भी शुरू किया।
आदरणीय श्री ए.नागराज जी का मार्गदर्शन जीवन का सबसे अमूल्य समय रहा, इस दौरान मेहनत और ईमानदारी के साथ समाज में सार्थक जीने का भरोसा हुआ l
2005 से 2011 तक कुम्हारी, दुर्ग के नजदीक अभ्युदय संस्थान, अछोटी में 6 साल देशी गौपालन और जैविक खेती सीखने समझने का अवसर मिला।
इस दौरान रायपुर इंजीनियरिंग कॉलेज के छात्रों के साथ मूल्य शिक्षा के एक प्रयोग में भागीदारी की l तत्कालीन राष्ट्रपति अब्दुल कलाम जी ने संदीप शर्मा द्वारा सम्पादित मूल्य शिक्षा आधारित “समाधान” पत्रिका का विमोचन भी 2006 में अपने छतीसगढ़ प्रवास पर किया l
संदीप ने 10 सालों तक भारत के 12 राज्यों के लगभग 200 गाँव में रहकर ग्रामीण जीवन शैली और उनकी अर्थव्यवस्था को समझने की कोशिश की है l
इस यात्रा में संदीप ने गाँव की युवा पीढ़ी को गाँव में जीने का भरोसा खत्म होता हुआ देखा l गाँव में खेती और मेहनत से जुड़े काम को करने में युवाओं की रूचि कम होती हुई दिखाई दी l
इस यात्रा के दौरान ऐसे बहुत से ऐसे युवाओं से भी परिचय हुआ जो अपने नौकरी और व्यापार से मुक्त होकर जैविक खेती के आधार पर गाँव में जीने की कोशिशों में लगे थे l जैविक फसल का बाजार ना होने से अधिकांश लोगों की हिम्मत जबाब दे रही थी, जैविक उत्पादन को सही मूल्य और सम्मान मिल सके इस उदेश्य से स्वयं तखतपुर बिलासपुर में रहकर जैविक खेती की शुरुवात की l
2010 में श्रद्धा यमकर का जैविक खेती के अभियान से जुड़ना हुआ
श्रद्धा यमकर का जन्म मुंबई महाराष्ट्र में हुआ l माता पिता से ग्रामीण परिवेश में जीने ओर सामाजिकता की प्रेरणा मिली l कम उम्र में ही मुंबई की झुग्गी बस्तियों के बच्चों की शिक्षा के लिये काम करना शुरू किया l
श्रद्धा यमकर ने निर्मला निकेतन मुंबई से समाज सेवा में अध्ययन किया l समाज कार्य की प्रतिष्ठित संस्थाओं प्रथम, सखिया, निर्माण के साथ काम करने से कई बिषयों की समझ बनी l देश की प्रतिष्ठित “पिरामल गाँधी फेलोशिप” की पहले बैच की छात्र रहीं l
इस फेलोशिप के दौरान श्रद्धा ने शिक्षा के उद्देश्य को गहराई से समझा l ग्रामीण जीवन शैली को समझने के उदेश्य से मुंबई को छोड़कर सवाई माधोपुर के आसपास के गॉवो में बच्चों को पढ़ाना शुरू किया l इस दौरान खुद के मोटापे ओर लगातार बिगड़ते स्वास्थ्य पर ध्यान गया l
जैविक खेती की देश की सबसे प्रतिष्ठित संस्था नवधान्या( देहरादून ) में 3 साल काम करने का अवसर भी मिला l इस संस्था के माध्यम से 16 देशों के छात्रों के साथ जैविक खेती से जुड़े कार्यक्रम में भागीदारी की l उत्तराखण्ड ओर महाराष्ट्र के किसानों के साथ जैविक खेती के उत्पादन का अभियान चलाया l
तत्कालीन प्रधानमंत्री माननीय मनमोहन सिंह और ब्रिटेन के प्रिंस चार्ल्स तक जैविक खेती के मुद्दे को पहुंचाने वाली टीम में श्रद्धा की प्रमुख भूमिका रहील
2010-11 में बिजनौर उ प्र में रहने के दौरान संदीप शर्मा ओर श्रद्धा यमकर ने फ़ूड प्रोसेसिंग एवं मधुमक्खी पालन सीखा ओर जैविक किसानों को बाजार उपलब्ध कराने की योजना पर साथ मिलकर काम करने के प्रयास शुरू किए l
2012 में संदीप ओर श्रद्धा ने अपने परिवारों और कुछ करीबी मित्रों से उधार लेकर छत्तीसगढ़ के बिलासपुर के पास एक गाँव में 10 एकड़ ज़मीन खरीदी और जैविक खेती के प्रयोग और प्रशिक्षण शुरू किए l
तत्कालीन कलेक्टर श्री अनबलगन पी. और नाबार्ड अधिकारी श्री कमल पटनायक के प्रयासों से प्रशासन और स्थानीय लोगों से जुड़ाव बना l
जैविक उत्पादन के लिये बाजार बनाने के लिये प्रयास शुरू किए l पैकिंग, सर्टिफिकेशन और गुणवत्ता के साथ फसल को बाजार तक पहुंचाने की शुरुआत हुई l
संदीप ने जैविक उत्पादों के मार्केटिंग की जिम्मेदारी ली ओर श्रद्धा ने पैकिंग ओर वितरण का काम सम्हाल लियाl
गाँव की युवा पीढ़ी को किसान होना गौरवान्वित कर सके, इसके लिये Farmers Pride की शुरुवात हुई l
हर जैविक किसान को उसकी मेहनत की समाज में पहचान मिल सके इस उद्देश्य से हर प्रोडक्ट पर जैविक किसान का फोटो सहित पता देना शुरू किया l इस प्रयास की खूब सराहना हुई l ओर यह छोटा सा आइडिया 2014 में भारत की पहली जैविक कंपनी के रूप में उभर कर सामने आया जो किसान को उसकी पहचान उपलब्ध करा रही है l
इस अभियान को मजबूत करने के लिये बिलासपुर के प्रतिष्ठित रामा मेग्नेटो माल ने निशुल्क दुकान प्रदान की l
धीरे धीरे लोगों को जैविक उत्पादन पसंद आने लगे l इस अभियान से 12 राज्यों के 200 जैविक किसान के 100 के ज्यादा उत्पाद जुड़ते चले गये, ओर यह छोटा सा प्रयास फार्मर्स प्रोडूसर कंपनी का रूप ले लिया l
समाज में जागरूकता लाने के उद्देश्य से 100 से ज्यादा छोटे बड़े आयोजनों में भागीदारी की l पुरे देश से कुछ जागरूक परिवारों ने इस अभियान को मजबूत किया l
बिलासपुर, कलकत्ता, कानपुर, नागपुर , शिवपुरी और रायपुर में वितरण केंद्रों और वेबसाइट के माध्यम से पुरे देश में घर पहुंच सुविधा उपलब्ध है l संसद भवन, राजभवन दिल्ली, जल शक्ति मंत्रालय, वित्त मंत्रालय, शिक्षा मंत्रालय, बिजली बिभाग मध्यप्रदेश, भारतीय डाक, भारतीय खाद निगम, भारतीय बीज निगम, हिंदुस्तान यूरिया लिमिटेड, इंडियन आयल, सुलभ इंटरनेशनल, यथार्थ हॉस्पिटल, जैसी देश की प्रतिष्ठित संस्थाओं ने दीवाली आर्डर के माध्यम से कई नये परिवारों को इस अभियान से जोड़ दिया l
पूर्व राष्ट्रपति श्री रामनाथ कोविंद जी का परिवार भी Farmers Pride के जैविक उत्पादों का नियमित ग्राहक रहा है, ऐसे कई जागरूक ओर प्रतिष्ठित परिवारों के जुड़ने से संस्था का गुणवत्ता पर विशेष ध्यान बना रहता है l
टाटा ट्रस्ट, गोल्फ फाउंडेशन, सिंधिया परिवार, अमेरिकन चैम्बर ऑफ़ कोमर्स, भरतीय उद्योग परिसंघ (CII), दिल्ली गोल्फ क्लब, इंडियन आर्मी विमेंस क्लब,अंबुजा सीमेंट,आई आई टी दिल्ली, जैसी प्रतिष्ठित संस्थाओं ने अपने सामाजिक आयोजनों में फार्मर्स प्राइड को शामिल किया l
फार्मर्स प्राइड छतीसगढ़ की एकमात्र और देश की उन चुनी हुई संस्थाओ में से एक है, जिसे अंतराष्ट्रीय मिलेट ईयर के शुभारम्भ के अवसर पर वर्ल्ड एक्सपो दुबई 2020 में भारत का प्रतिनिधित्व करने का अवसर प्राप्त हुआ l
जैविक खेती से जुडी देश की पहली संस्था है जिसके माध्यम से बिरला इंस्टिट्यूट ऑफ़ पिलानी के छात्रों की 40 दिन का इंटर्नशिप प्रोग्राम पिछले 4 सालों से किया जा रहा है l
2020 में छतीसगढ़ के पहले जैविक रेस्टोरेंट की शुरुवात भी farmere pride ने कंट्री क्लब, कोनी बिलासपुर में की l जिसकी लोगों ने बहुत सराहना की l
छतीसगढ़ के दो युवाओं संदीप शर्मा और श्रद्धा यमकर के कई सालों के प्रयासों को माननीय प्रधानमंत्री जी ने अपनी मन की बात कार्यकम से पुरे देश के सामने ला दिया है l जिन मिलेट के उत्पादों की सराहना श्री नरेंद्र मोदीजी ने की है l उन मिलेट उत्पादों को कर्नाटक, छतीसगढ़ और राजस्थान के किसानों द्वारा उगाया जा रहा है l
संदीप ओर श्रद्धा का जोर इस बात पर है कि करोना महामारी के बाद जैविक के नाम पर झूठ ओर लूट का व्यापार बंद हो l समाज में जैविक उत्पादन के मापदंडो का पालन कठोरता से होना चाहिए l ईमानदार जैविक किसान को अपनी पहचान और उचित कीमत मिलना चाहिए l
आगामी योजना भारत में ऐसे जैविक बाजार बनाने की है जहाँ महीने के पुरे जैविक राशन के साथ, देशी गाय का दूध, जैविक सब्जी, फल ओर जरुरत का हर सामान पूरी गुणवत्ता के साथ मिल सके l इससे जैविक किसानों को बाजार मिलेगा ओर ग्राहकों को स्थानीय किसानों के साथ जुड़ने का अवसर मिलेगा l