
सवाल हमारी सेहत का
सवाल हमारी सेहत का,
सवाल हमारे खाद्य तेलों के भविष्य का ,
सवाल हमारे विविध पारंपरिक भोजन का।
क्या आपको भी यह सवाल आता है कि ये बीमारियाँ क्यों आ रही है ? क्या तेलों की इसमें कोई भूमिका है ? हम इन अप्राकृतिक ढंग से निकले गये जहरीले तेलों का अपने खाद्य तेलों के रूप में क्यों प्रयोग करते हैं ?
जिन तेलों को बेचते हुए कहा गया था कि यह आपके दिल के लिए, आपके परिवार की सुरक्षा के लिए है… आपके लम्बे जीवन के लिए है – क्या वाकई में ऐसा है ?
जानिए – कैसे कुछ गिने चुने जहरीले तेलों ने कब्जा किया है हमारे तेलों की विविधता पर। सेहत की तो बात ही दूर है,,, जहरीले और मिलावटी तेल के कारण हमरे अन्दर जहरीले तत्वों की मात्रा बढ़ती है | जैसे – हेक्सेन, निकेल, सोडियम हाईड्रोकसाइड, आदि | इस तरह के तेलों को चमकदार और हल्का बनाने के लिए इनमें केमिकल का ज़म के प्रयोग किया जाता है |
प्राकृतिक विविधता की जगह फैक्ट्री निर्मित एकरूपता और तेल पर गिनी चुनी कंपनियों का एकाधिकार हम पर कैसे थोपे जा रहे हैं उसे हम अपने खुद के अनुभव से जांच सकते हैं |
बचपन के दिनों का ठीक से याद है मुझे।।।
जैसे कि आप सब जानते है मैं मुंबई से हूँ और आज के 15 से 18 साल पहले की बात करू तो ,,, माँ बोलती श्रद्दा तेल खत्म होने वाला है….. कुछ दिन में ले आना जाकर.. तब तेल लेने… तेल की घानी पर स्टील की 5 लीटर की केटली लेकर जाती मैं.. और उसमें मुंगफली तेल ले आती (जिसे मीठा तेल के नाम से जानते है)। मेरे साथ मेरी साउथ इंडियन पड़ोसी दोस्त जाती वो अपनी केटली में नारीयल तेल लाती तो मेरी बंगाली पड़ोसन दोस्त सरसो तेल जिसे हम लोग कड़वा तेल बोलते…. अपनी केटली में भर लाती।
इन तेलों को खा कर स्वाद और स्वस्थ दोनों ठीक रहता था | अब वैज्ञानिक शोध से भी यही पता लगा है पर… इसमें दो दशक निकल गए |
पौष्टिक , रुचिकर एवं पारंपरिक भोजन हमेशा मेरा रुचि का विषय रहा है। जितना भारत के अलग अलग हिस्सों में घूमी तो देख पायी हूँ, विभिन्न राज्यों में खाद्य तेल के उपयोग में विविधता है। हमारे देश में तिलहनों ( खाद्य तेलों के बीज) की विविधता हमारी वैभवपूर्ण भोजन परम्परा की विशेषता है।
जैसे –
नारियल तेल- गोवा, केरल, कर्नाटक की तरफ |
मूंगफली तेल- तमिलनाडु, महाराष्ट्र, गुजरात, मध्य प्रदेश, दक्षिण कर्नाटक एवं आंध्र प्रदेश |
अलसी तेल- महाराष्ट्र का विदर्भ क्षेत्र |
सरसो तेल- उत्तर प्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल, जम्मू- कश्मीर, पंजाब, हरयाणा, हिमाचल प्रदेश, राजस्थान |
करड़ी तेल- महाराष्ट्र का मराठवाड़ा क्षेत्र, कर्नाटक के कुछ भाग, आंध्र प्रदेश का तटीय भाग तथा गुजरात |
क्या आपने चखे है अलग अलग राज्यों के विविध प्रचलित तेलों से बने भोजन???
इससे इस बात पर ध्यान गया कि खाद्य तेल सिर्फ रसोई का ही विषय ही नही !!
यह हमारी विविधतापूर्ण भोजन परंपरा भी है,,,
यह हमारी जीवनशैली और हमारा पूर्ण पोषण का प्रतीक भी है,,
यह हमारी सेहत,
तिलहनों के चिकित्सक गुणों,
उसके धार्मिक, सांस्कृतिक और शास्त्रीय एवं उससे जुड़े ज्ञान का भी विषय है,,,,
यह उन सब किसानों,,,
लघु और कुटीर उद्योग,
तेल पेरने वाले कोल्हू,
उसे बेचने वाले लोग एवं इन सब का,,इससे जुड़ा आर्थिक स्वावलम्बन का भी विषय मुझे दिखता है।
यह हमें प्रकृति से प्राप्त विविधता का तोहफ़ा है, जिसे अपनी अगली पीढ़ी को सौंपना…. हमारा प्राकृतिक और सामाजिक दायित्व है,,,
बचिए रिफाइंड तेल के इस्तेमाल से ! ये बीमारी के अलावा कुछ नहीं देते | और ये ऐसी बीमारियाँ हैं जो हमारे शरीर में धीरे-धीरे आती हैं |
Written by.
आपकी श्रद्धा
Founder- Director
Farmers Pride